शनिवार, 28 फ़रवरी 2009

धीरज तनिक धरो

, मधुमुखी सयानी !
थोड़े दिन की बात रह गई
फिर प्रेम ऋतू आनी
सच है सही नहीं जाए, भीषण ज्वाला तन की
मचल-मचल कर मर जाती, हर एक तमन्ना मन की
अरी, वासंती प्रिये!
धीरज तनिक धरो, बरसेगा
तपन शमन हित पानी
बंधन मुक्त करो , उड़ने दो अलकों का बादल
नयनों की चंचलता पर , रहे नियंत्रण दो पल
यि, संगिनी जीवन की!
आकुल बनो, गगन कह रहा
घटा जामुनी छानी

गंगा धर शर्मा "हिंदुस्तान"

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